हारे को हरी नाम
अक्सर हम पाते हैं कि जब हम हर तरफ से हार जातें हैं ,निराश हो जातें हैं, तब हमें हरी (भगवान) की याद आती है . हमें भगवान हीं अपना अंतिम सहारा लगने लगता है .लेकिन आखिर ऐसा होता क्यों है ? हम अच्छे समय में भगवान को क्यों नहीं याद करते हैं ?"दुःख में सुमिरन सब करे ,सुख में करे न कोय ".भगवान ने सबको चौबीस घंटे का हीं समय दिया है .Important चीज यह है कि इन चौबीस घंटों को हम व्यतीत किस तरह करते हैं ?
जो भगवान हमें इस दुनियाँ में ले आया और जिसे हम बुरे समय में अपना अंतिम सहारा समझते हैं ,उसे याद करने केलिए प्रति दिन कुछ minut भी नहीं निकाल पाते हैं .यदि हम प्रति दिन थोड़ी देर केलिए भी भगवान को याद कर लें तो मन में एक confidence पैदा होगा कि हमारा कुछ भी बुरा नहीं हो सकता है .साथ हीं,हम जितनी देर भगवान को याद करते रहेंगें ,कम से कम उतनी देर बुरे विचारों से भी बचे रहेंगें .यह अपने आप को अनुशाशन बद्ध करने का एक प्रयाश भी होगा .
true words.its not a matter of time,its a matter of feelings.if we really have true feelings for god,we can easily spare some time on him
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