हर ग़म को भूल जाओ
(दिनांक 09 -01 -2012 ,बंगलोर )
(दिनांक 09 -01 -2012 ,बंगलोर )
हँसने के सौ बहाने हैं आज भी जहाँ में ,
चुन -चुन के इनसे अपने सपने नए सजाओ .
इस शोर -शराबे में ,संगीत भी मधुर है ,
इसकी धुनों को अपने होंठों पे गुनगुनाओ .
काली ,अन्धेरी रातों में झांकते हैं तारे ,
तारों की झिलमिलाहट से राह जगमगाओ .
काटें बहुत हैं लेकिन ,काटों के जंगलों में ,
कुछ फूल भी खिले हैं ,उनसे नजर मिलाओ .
लाखों की भीड़ में हीं होता है एक मसीहा ,
मूंदो न अपनी आँखें ,उसको गले लगाओ .
हर रंग जिंदगी का ,होता है खूबसूरत ,
इस सोंच के बहाने ,हर गम को भूल जाओ.
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