Sunday, 25 March 2012

तुम्हारे पापा..
(जब हम बहनें बहुत छोटी थीं, तब पापा ने
हमलोगों केलिए यह कविता लिखी थी .)
  (दिनांक 11 -02 -1991 ,पटना )



पापा की बात का तुम,
बिलकुल बुरा न मानो,
पापा बहुत भले हैं-
हरदम ये बात जानो.

पापा की है ये ख्वाहिश,
आगे रहो सदा तुम,
पापा का है ये सपना,
आगे सदा बढ़ो तुम.

पापा ने भी देखा था,
एक बेहतरीन सपना.
पापा ने भी चाह था,
सुन्दर भविष्य अपना.

कुछ बेबसी ने उनको,
पढने नहीं दिया था.
मजबूरियों ने आगे,
बढ़ने नहीं दिया था.

जो खुद न बन सके वो,
तुमको बनायें पापा.
बैठे हैं अब तुम्ही से
आशा लगाये पापा.

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