Sunday, 25 March 2012

राखी एक बहन की...
(दिनांक 24-08 -1991 ,पटना )




तुम समर्थ हो,तुम को क्या दे सकती है यह बहना.
बस,कामना यही करती है-सदा सुखी तुम रहना.
अबतक सबलोगों  ने नारी को अबला ही माना है.
दुर्बलता का एक पर्याय और अबला  ही जाना है .
लेकिन यह याचक ही आज,तुम्हे कुछ देने आई है.
राखी के धागों में, अपना बाँध खजाना लायी है.
धन,दौलत,सम्मान,सुयश तो सबको मिल जाता है
लेकिन प्यार बहन का,क्या सबको ही मिल पाता है?
आज तुम्हे आशीष दे रही है,युग-युग तुम सुखी रहो
रक्षा करे बहन की राखी,कभी तुम्हारा अहित न हो

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