Friday, 23 March 2012

दूर तुमसे बहुत दूर
(पापा की शादी 06 -07 -1979 को हुयी थी ,
उन दिनों उनकी पोस्टिंग नवादा में थी .शादी
 के तुरत बाद वे नवादा चले गए .यह कविता
उनहोंने दिनांक 20 -07 -1979 को लिखी थी )


 .


तेरा वो रूठना,मचलना फिर मुस्काना,
कलाईयों की चूड़ियों का,तेरा खनकना
कभी शोखी से खिल- खिला के तेरा हँस देना,
और फिर शर्म से नज़रे तुरत झुका लेना,
इन्हें अब तक न एक पल को भूल पाया हूँ,
मैं तुमसे दूर, बहुत दूर चला आया हूँ

मेरी बेचैन निगाहें तुम्हे निहार रहीं,
मेरी सांसें तुम्ही को हर घडी पुकार रहीं ,
मेरी हर गीत में बसी है तुम्हारी धड़कन,
मेरी  हर याद बन चुकी है तुम्हारा दर्पण,
मुझे  अफ़सोस है मैं  प्यार दे न पाया हूँ,
मैं तुमसे दूर बहुत दूर चला आया हूँ.

मेरी चरों तरफ ख़ामोशी है तन्हाई है,
रात की स्याही,मेरे गिर्द सिमट आई है
मैं अकेला हूँ परेशान हूँ, घबडाया हूँ,
मैं तुमसे दूर बहुत दूर चला आया हूँ.

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