जाड़े की धूप..
(दिनांक 29 -12 -2002 ,राँची)
शाम के धुंधलके में फीकी हुई धूप,
एक छोटी ज़िन्दगी को जीती हुई धूप,
किसी बूढ़े- माँ बाप को सहारा देती हुई धूप,
अन्जान गलियों में आवारा होती हुई धूप,
किसी आँगन में रुकने को तरसती हुई धुप ,
कहीं मंद- मंद आहिस्ता सरकती हुई धूप,
किसी संगमरमरी देह से लिपटती हुई धूप,
कहीं शर्माकर,सकुचाकर,सिमटती हुई धूप.
(दिनांक 29 -12 -2002 ,राँची)
शाम के धुंधलके में फीकी हुई धूप,
एक छोटी ज़िन्दगी को जीती हुई धूप,
किसी बूढ़े- माँ बाप को सहारा देती हुई धूप,
अन्जान गलियों में आवारा होती हुई धूप,
किसी आँगन में रुकने को तरसती हुई धुप ,
कहीं मंद- मंद आहिस्ता सरकती हुई धूप,
किसी संगमरमरी देह से लिपटती हुई धूप,
कहीं शर्माकर,सकुचाकर,सिमटती हुई धूप.
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