कसक
(दिनांक 21 -07 -1983 ,चक्रधरपुर )
मेरे पास क्या बचा है!काली उदास रातें,
मनहूस,अकेलापन,खामोशियाँ ,सन्नाटे.
बीते दिनों की यादों का एकमात्र संबल ,
मुझे याद आ रही हैं,वो सब पुरानी बातें.
गोरी कलाइयों में सजी चूड़ियों की खन- खन,
घूँघट हटा- हटा कर,वह झाँकता समर्पण.
झुकती हुईं पलकों का,कुछ और झुकते जाना,
तेरा शर्म से सिमटना,वह मूक सा निमंत्रण.
(दिनांक 21 -07 -1983 ,चक्रधरपुर )
मेरे पास क्या बचा है!काली उदास रातें,
मनहूस,अकेलापन,खामोशियाँ ,सन्नाटे.
बीते दिनों की यादों का एकमात्र संबल ,
मुझे याद आ रही हैं,वो सब पुरानी बातें.
गोरी कलाइयों में सजी चूड़ियों की खन- खन,
घूँघट हटा- हटा कर,वह झाँकता समर्पण.
झुकती हुईं पलकों का,कुछ और झुकते जाना,
तेरा शर्म से सिमटना,वह मूक सा निमंत्रण.
No comments:
Post a Comment